प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Thursday, June 18, 2015

फादर्स- डे पर विशेष.........पिताजी / दीनदयाल शर्मा



फादर्स- डे पर विशेष

पिताजी / दीनदयाल शर्मा

पिताजी कहते थे
जल्दी उठो
वे खुद जल्दी उठते थे।

वे कहते थे
मेहनत करो
वे खुद मेहनती थे।

वे कहते थे
सच बोलो
वे खुद सच के हामी थे।

वे कहते थे
ईमानदार रहो
वे खुद ईमानदार थे।

मैं उनके बताए
कदमों पर चला।

आज सब कुछ है
मेरे पास.....
लेकिन पिताजी नहीं है।

-दीनदयाल शर्मा

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